04-02-2016, 02:35 PM
साँचा:Infobox Philosopher सामोस के पाईथोगोरस (यूनानी : Ὁ Πυθαγόρας ὁ Σάμιος, ओ पुथागोरस ओ समिओस , "पाईथोगोरस दीसमियन (Samian)," या साधारण रूप से Ὁ Πυθαγόρας; उनका जन्म 580 और 572 ई.पू. के बीच हुआ, और मृत्यु 500 और 490 ई.पू. के बीच हुई), या फ़ीसाग़ोरस, एक अयोनिओयन (Ionian) ग्रीक (Greek)गणितज्ञ (mathematician) थे और पाईथोगोरियनवाद(Pythagoreanism)नामक धार्मिक आन्दोलन के संस्थापक थे.उन्हें अक्सर एक महान गणितज्ञ, रहस्यवादी (mystic) और वैज्ञानिक (scientist) के रूप में सम्मान दिया जाता है; हालांकि कुछ लोग गणित और प्राकृतिक दर्शन में उनके योगदान की संभावनाओं पर सवाल उठाते हैं.हीरोडोट्स उन्हें "यूनानियों के बीच सबसे अधिक सक्षम दार्शनिक" मानते हैं.उनका नाम उन्हें पाइथिआ (Pythia) और अपोलो से जोड़ता है; एरिस्तिपस(Aristippus)ने उनके नाम को यह कह कर स्पष्ट किया कि "वे पाइथियन(पाइथ-) से कम सच (एगोर-)नहीं बोलते थे,", और लम्ब्लिकास(Iamblichus)एक कहानी बताते हैं कि पाइथिआ ने भविष्यवाणी कि की उनकी गर्भवती मान एक बहुत ही सुन्दर, बुद्धिमान आदमी को जन्म देगी जो मानव जाती के लिए बहुत ही लाभकारी होगा.
उन्हें मुख्यतः पाईथोगोरस की प्रमेय (Pythagorean theorem)के लिए जाना जाता है, जिसका नाम उनके नाम पर दिया गया है.पाइथोगोरस को "संख्या के जनक" के रूप में जाना जाता है, छठी शताब्दी ईसा पूर्व में धार्मिक शिक्षण और दर्शनमें उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. पूर्व सुकराती (pre-Socratic)काल के अन्य लोगों की तुलना में उनके कार्य ने कथा कहानियो को अधिक प्रभावित किया, उनके जीवन और शिक्षाओं के बारे में अधिक विश्वास के साथ कहा जा सकता है.हम जानते हैं कि पाइथोगोरस और उनके शिष्य मानते थे की सब कुछ गणित से सम्बंधित है, और संख्याओं में ही अंततः वास्तविकता है, और गणित के माध्यम से हर चीज के बारे में भविष्यवाणी की जा सकती है तथा हर चीज को एक ताल बद्ध प्रतिरूप या चक्र के रूप में मापा जा सकता है. लम्बलीकस (Iamblichus)के अनुसार, पाइथोगोरस ने कहा कि "संख्या ही विचारों और रूपों का शासक है और देवताओं और राक्षसों का कारण है."
वो पहले आदमी थे जो अपने आप को एक दार्शनिक, या बुद्धि का प्रेमी कहते थे,[2] और पाइथोगोरस के विचारों ने प्लेटो पर एक बहुत गहरा प्रभाव डाला.दुर्भाग्य से, पाइथोगोरस के बारे में बहुत कम तथ्य ज्ञात हैं, क्योंकि उन के लेखन में से बहुत कम ही बचे हैं.पाइथोगोरस की कई उपलब्धियां वास्तव में उनके सहयोगियों और उत्तराधिकारियों की उपलब्धियां हैं.==जीवन== पाईथोगोरस का जन्म सामोस (Samos)में हुआ, जो एशिया माइनर (Asia Minor) के किनारे पर, पूर्वी ईजियन में एक यूनानी द्वीप है.उनकी माँ पायथायस (समोस की निवासी ) और पिता मनेसार्चस (टायर (Tyre)के एक फोनिसियन (Phoenicia)व्यापारी ) थे.जब वे जवान थे तभी उन्होंने, अपने जन्म स्थान को छोड़ दिया और पोलिक्रेट्स (Polycrates) की अत्याचारी (tyrannical) सरकार से बच कर दक्षिणी इटलीमें क्रोटोन(Croton) केलेब्रिया (Calabria)में चले गए.लम्ब्लिकस (Iamblichus)के अनुसार थेल्स (Thales)उनकी क्षमताओं से बहुत अधिक प्रभावित था, उसने पाइथोगोरस को इजिप्त में मेम्फिस (Memphis)को चलने और वहां के पुजारियों के साथ अध्ययन करने की सलाह दी जो अपनी बुद्धि के लिए जाने जाते थे.वे फोनेशिया में टायर और बैब्लोस में शिष्य बन कर भी रहे.इजिप्त में उन्होंने कुछ ज्यामितीय सिद्धांतों को सिखा जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अंततः प्रमेय दी जो अब उनके नाम से जानी जाती है.यह संभव प्रेरणा बर्लिन पेपाइरस (Berlin Papyrus)में एक असाधारण समस्या के रूप में प्रस्तुत है समोस से क्रोटोन (Croton), केलेब्रिया (Calabria), इटली, आने पर उन्होंने एक गुप्त धार्मिक समाज की स्थापना की जो प्रारंभिक ओर्फिक कल्ट(Orphic cult) से बहुत अधिक मिलती जुलती थी और संभवतया उससे प्रभावित भी थी.
पाईथोगोरस की प्रतिमा (Bust), वेटिकन(Vatican)
पाइथोगोरस ने क्रोटन के सांस्कृतिक जीवन में सुधर लाने की कोशिश की, नागरिकों को सदाचार का पालन करने के लिए प्रेरित किया और अपने चारों और एक अनुयायियों का समूह स्थापित कर लिया जो पाइथोइगोरियन कहलाते हैं.इस सांस्कृतिक केन्द्र के सञ्चालन के नियम बहुत ही सख्त थे.उसने लड़कों और लड़कियों दोनों के liye सामान रूप से अपना विद्यालय खोला.जिन लोगों ने पाइथोगोरस के सामाज के अंदरूनी हिस्से में भाग लिए वे अपने आप को मेथमेटकोई कहते थे.वे स्कूल में ही रहते थे, उनकी अपनी कोई निजी संपत्ति नहीं थी, उन्हें मुख्य रूप से शाकाहारी भोजन खाना होता था, (बलि दिया जाने वाला मांस खाने की अनुमति थी) अन्य विद्यार्थी जो आस पास के क्षेत्रों में रहते थे उन्हें भी पाइथोगोरस के स्कूल में भाग लेन की अनुमति थी.उन्हें अकउसमेटीकोई के नाम से जाना जाता था, और उन्हें मांस खाने और अपनी निजी सम्पति रखने की अनुमति थी.रिचर्ड ब्लेक्मोर ने अपनी पुस्तकदी ले मोनेस्ट्री (१७१४) में पाइथोगोरियनो के धार्मिक प्रेक्षणों को बताया, "यह इतिहास में दर्ज सन्यासी जीवन का पहला उदाहरण था.
लम्ब्लिकास (Iamblichus)के अनुसार, पाइथोगोरस ने धार्मिक शिक्षण, सामान्य भोजन, व्यायाम, पठन और दार्शनिक अध्ययन से युक्त जीवन का अनुसरण किया.संगीत इस जीवन का एक आवश्यक आयोजन कारक था: शिष्य अपोलो के लिए नियमित रूप से मिल जुल कर भजन गाते थे; वे आत्मा या शरीर की बीमारी का इलाज करने के लिए वीणा (lyre) का उपयोग करते थे; याददाश्त को बढ़ाने के लिए सोने से पहले और बाद में कविता पठन किया जाता था.
फ्लेवियस जोजेफस (Flavius Josephus), एपियन के विरुद्ध (Against Apion), यहूदी धर्म की रक्षा में ग्रीक दर्शनशास्त्र (Greek philosophy) के खिलाफ कहा कि समयरना के हर्मिपस (Hermippus of Smyrna) के अनुसार पाइथोगोरस यहूदी विश्वासों से परिचित था, उसने उनमें से कुछ को अपने दर्शन में शामिल किया.जिंदगी के अंतिम चरण में उसके और उसके अनुयायियों के खिलाफ क्रोतों के एक कुलीन सैलों (Cylon) द्वारा रचित शाजिश की वजह से वहमेतापोंतुम (Metapontum) भाग गया . वह अज्ञात कारणों से मेटापोंटम म में ९० साल की उम्र में मर गया.बर्ट्रेंड रसेल,ने पश्चिमी दर्शन के इतिहास (History of Western Philosophy),में बताया कि पाइथोगोरस का प्लेटो और अन्य लोगों पर इतना अधिक प्रभाव था कि वह सभी पश्चिमी दार्शनिकों में सबसे ज्यादा प्रभावी माना जाता था.